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Showing posts from October, 2018

OLD HATS NEW FACES

Reunions are such great occasions Remember the movie Pyaasa? Guru Dutt sees Mala Sinha entering the class  और एक शेर कह देते हैं "जब हम चलें तो साया भी अपना ना साथ दे जब तुम चलो तो ज़मीन चले आसमान चले जब हम रुकें तो साथ रुके शामें  बेकसि जब तुम रुको तो बहार रुके चाँद रुके" Years later, it is the college reunion वही शायर है अन्दाज़ बदल गया "तंग आ चुके हैं कश्मकशे ज़िंदगी से हम ठुकरा ना दे जहाँ को कहीं बेदिली से हम उभरेंगे एक बार अभी दिल के वलवले माना कि दब गए हैं गमे ज़िंदगी से हम" कोई नहि पूछता तुम कहाँ थे कहाँ रहे साहिब एक दूसरी फ़िल्म पर चलते हैं Dharmendra की सबसे बहतरीं film Satyakaam क्लास बस में पिकनिक पर जा रही है "आदमी है क्या, आदमी है बंदर रोटी उठा के भागे कपड़े चुरा के भागें कहलाय वो Sikander! बन्दर नहीं है ,आदमी का क्या कहना प्यार मोहब्बत फ़ितरत उसकी दोस्ती मझहब उसका"  सालों बाद  यार से reunion वही अन्दाज़. कुछ नहीं बदला, यार बदल गया "समझ नहीं आता की मैं बदल गया या यह दुनिया बदल गयी आज कल ऐसा लगता है जैसे बुरा